मुख्यमंत्री सुक्खू के ब्रम्हास्त्र के आगे नहीं टिकते विरोधियों के षड़यंत्र
Brahmastra of Chief Minister Sukhu
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की ईमानदारी साबित हो रहा सबसे बड़ा सियासी ब्रम्हास्त्र , अपना रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति
संदीप उपाध्याय
शिमला: Brahmastra of Chief Minister Sukhu: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू सत्ता की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की ईमानदारी ही उनका सबसे बड़ा सियासी ब्रम्हास्त्र साबित हो रहा है। अपनी ईमानदार छवि के कारण सुक्खू हर मोर्चे पर मजबूती के साथ खड़े नजर आते हैं। सत्ता की सियासत में विपक्षी दल के साथ-साथ अपनी ही पार्टी के नेता सियासी षड़यंत्र रचते रहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की ब्रम्हास्त्र के आगे सभी षड़यंत्र विफल साबित होते हैं। विपक्षी दल भाजपा के नेता लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं, सदन से सड़क तक सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप दागते हैं और जब मुख्यमंत्री सुक्खू विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हैं तो सभी आरोप खोखले साबित होते हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के ढाई साल बाद भी मुख्यमंत्री सुक्खू सहित सरकार के किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित नहीं हो सके हैं। जिससे तय है कि मुख्यमंत्री सुक्खू भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति सरकार पर पूरी तरह लागू कर रहे हैं।
व्यवस्था परिवर्तन : भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गत विधानसभा चुनावों के समय जनता से अपील की थी कि वह सत्ता सुख के लिए नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए कांग्रेस को वोट दें। जनता ने सुक्खू की बात की समझाा और कांग्रेस के हाथों सत्ता की कमान सौंपी। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद सुकखू ने स्पष्ट संकेत दिए कि अब व्यवस्था परिवर्तन का दौर शुरु हो गया है, कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने लगातार प्रदेश में सक्रिय खनन माफिया, नशा माफिया, वन माफिया, भूमाफिया पर शिकंजा कसना शुरु किया और सभी माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सख्त कानून बनाए। खनन माफिया पर शिकंजा कसते हुए सभी अवैध खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की और व्यास नदी के पास खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। ब्यास नदी के तट पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय से विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के साथी भी नाराज हुए लेकिन मुख्यमंत्री ने अपना निर्णय नहीं बदला।
मुख्यमंत्री के ईमानदार प्रयास से सत्ताधारी भी परेशान
सब जानते हैं कि सत्ता तंत्र में भ्रष्टाचार चरम पर होता है। चुनावों मे करोड़ों रुपए खर्च करने वाले नेता सत्ता में आते ही करोड़ों रुपए कमाना चाहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में करोड़ों रुपए कमाने वालों की चाहत पूरी होने वाली नहीं थी। सुक्खू ने सभी को साफ कह दिया था कि सरकार के कामकाज में पूरी तरह पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देना है। मुख्यमंत्री पूरे सरकार तंत्र के काम काज पर गहरी नजर रखते हैं। मुख्यमंत्री को जहां लगता है कि भ्रष्टाचार की संभावना है तो वह फाइल को ही स्वीकृति प्रदान नहीं करते। सुक्खू के ईमानदारी से सरकार चलाने के निर्णय से सत्ता धारी नेता भी बहुत परेशान रहते हैं। उनके करोड़ों रुपए कमाने के सपने टूट रहे हैं, जिससे वह सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर कहीं न कहीं नाराज नजर आते हैं। मुख्यमंत्री किसी की नाराजगी की परवाह किए बगैर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं और यह ईमानदारी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए सबसे बड़ा सियासी ब्रम्हास्त्र साबित हो रही है, जिससे मुख्यमंत्री अपनी विरोधियों को करारा जवाब मजबूती के साथ देते हैं और विरोधियों के सभी राजनैतिक षड़यंत्र की नाकाम साबित करने में सफल होते हैं।
नशा तस्करों के खिलाफ बनाया सख्त कानून, मृत्युदंड का प्रावधान किया
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश में अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए लगातार सख्त कदम उठा रहे हैं। नशा मुक्त हिमाचल बनाने के लिए सरकार ने हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध, निवारण और नियंत्रण विधेयक 2025 को विधानसभा में पारित किया है। जिसमें नशा तस्करी से अर्जित की गई संपत्ति भी सरकार जब्त कर लेगी और नशा तस्करों को मृत्युदंड का प्रावधान भी किया है। सरकार ने कानून बनाया है कि अब नशा तस्करों को मृत्युदंड तक की सजा दी जा सकती है। हिमाचल प्रदेश में अब चिट्टा तस्करों को मृत्युदंड मिलेगा। सरकार ने चिट्टे की तस्करी सहित अन्य अपराधों पर कड़ाई बरतने के लिए हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध, निवारण और नियंत्रण विधेयक 2025 को विधानसभा में पारित कर दिया। विधानसभा में पारित विधेयक में किए गए प्रावधानों के तहत चिट्टा तस्करी, नकली शराब बेचने और इस तरह के अन्य संगठित अपराध से यदि किसी की मौत होती है, तो दोषियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक मिल सकता है। सजा के साथ दोषी को 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी देना होगा। नशे से अर्जित की गई संपत्ति भी जब्त होगी।
शराब माफिया के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश में शराब की तस्करी में शामिल माफिया पर भी अंकुश लगाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। शराब की तस्करी से सरकार को हर साल करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होता था। सरकार ने निर्णय लिया कि अब सरकार के ठेकों की नीलामी बढ़े दामों पर की जाएगी। इससे पहले भाजपा सरकार में ठेकों की नीलामी नहीं होती थी, पहले के रेट में थोड़ा वृद्धि कर ठेके दे दिए जाते थे। सरकार ने ठेकों की नीलामी का निर्णय लिया, जिससे सरकार को करीब एक हजार करोड़ से अधिक राजस्व की वृद्धि हुई ।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर काम करने के फायदे में सामने आ रहे हैं। भ्रष्टाचार के सभी चोर दरवाजे बंद होने से प्रदेश के राजस्व में भी भारी वृद्धि हो रही है। जिससे हजारों करोड़ के कर्ज में दबे हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार की गत दो वर्षों में सरकार के राजस्व में हजारों करोड़ की वृद्धि हुई है जिससे हिमाचल आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अच्छे संकेत आ रहे हैं।